ॐ
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बद्रीनाथ जी में कथा
“रूपयौवनसम्पन्ना विशालकुलसम्भवाः ।
विद्याहीना न शोभन्ते निर्गन्धा इव किंशुकाः ॥”
रूप , यौवन से सम्पन्न , विशाल कुल में उत्पन्न किन्तु विद्या से हीन व्यक्ति शोभा नहीं देते, जैसे सुन्दर होते हुए पलाश का फूल ग्रहण करने के योग्य नहीं होता ।